लेखक:
सरला चम्बयाल
सरला चम्बयाल का जन्म सन् 1948 गाँव भरैइंण कुल्लू में हुआ। उन्होंने सन् 1980 में आकाशवाणी शिमला से कुल्लवी लोकगीत गायन की शुरुआत की। गायन के साथ साथ लगभग दो दशकों से वे लोकगीत लेखन में भी व्यस्त हैं। पुरस्कार / सम्मान लोक गायन क्षेत्र में उन्हें उनकी गायिकी के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे साहित्य एवं कला परिषद, कुल्लू, हिमाचल संस्कृत अकादेमी, हिमतरु राज्य सम्मान तथा चंद्रशेखर बेबस स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार आदि। 2014 में कुल्लू दशहरे में नाटी गायन के लिए कुल्लवी नाटी गायन के लिए लिम्का बुक में नाम दर्ज़। 2015 में कुल्लू दशहरे में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ थीम पर आधारित महानाटी में मुख्य गायिका के रूप में गायन के लिए गिनीज़ बुक में नाम दर्ज़। |
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काति महीने री चानणिएसरला चम्बयाल
मूल्य: $ 7.95
"कुल्लू की संस्कृति के गीत, सदियों की सजीव धरोहर" आगे... |